लेखनी कविता - बताता जा रे अभिमानी! -महादेवी वर्मा

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बताता जा रे अभिमानी! -महादेवी वर्मा  बताता जा रे अभिमानी! कण-कण उर्वर करते लोचन  स्पन्दन भर देता सूनापन  जग का धन मेरा दुख निर्धन  तेरे वैभव की भिक्षुक या  कहलाऊँ रानी! ...

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