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तम में बनकर दीप -महादेवी वर्मा उर तिमिरमय घर तिमिरमय चल सजनि दीपक बार ले! राह में रो रो गये हैं रात और विहान तेरे काँच से टूटे पड़े यह स्वप्न, ...