50 Part
33 times read
0 Liked
यह मंदिर का दीप -महादेवी वर्मा यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो रजत शंख घड़ियाल स्वर्ण वंशी-वीणा-स्वर, गये आरती बेला को शत-शत लय से भर, जब था कल कंठो ...