लेखनी कविता - दीपक चितेरा -महादेवी वर्मा

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दीपक चितेरा -महादेवी वर्मा  सजल है कितना सवेरा  गहन तम में जो कथा इसकी न भूला  अश्रु उस नभ के, चढ़ा शिर फूल फूला  झूम-झुक-झुक कह रहा हर श्वास तेरा  राख ...

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