लेखनी कविता -परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना -अमीर ख़ुसरो

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परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना -अमीर ख़ुसरो  परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना।  बिर का दुख बहुत कठिन है प्रीतम अब आजावना।  इस पार जमुना उस ...

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