लेखनी कविता - छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो

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छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो  अपनी छबि बनाई के जो मैं पी के पास गई, जब छबि देखी पी की तो अपनी भूल गई।  छाप तिलक सब छीन्हीं रे ...

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