लेखनी कविता - अब तो पथ यही है - दुष्यंत कुमार

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अब तो पथ यही है / दुष्यंत कुमार    जिंदगी ने कर लिया स्वीकार, अब तो पथ यही है| अब उभरते ज्वार का आवेग मद्धिम हो चला है, एक हलका सा ...

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