लेखनी कविता - आग जलती रहे - दुष्यंत कुमार

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आग जलती रहे / दुष्यंत कुमार    एक तीखी आँच ने  इस जन्म का हर पल छुआ, आता हुआ दिन छुआ  हाथों से गुजरता कल छुआ  हर बीज, अँकुआ, पेड़-पौधा, फूल-पत्ती, ...

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