लेखनी कविता -आज सडकों पर - दुष्यंत कुमार

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आज सडकों पर / दुष्यंत कुमार    ‎ आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख, पर अन्धेरा देख तू आकाश के तारे न देख ।  एक दरिया है यहाँ ...

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