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फिर कर लेने दो प्यार प्रिये / दुष्यंत कुमार अब अंतर में अवसाद नहीं चापल्य नहीं उन्माद नहीं सूना-सूना सा जीवन है कुछ शोक नहीं आल्हाद नहीं तव स्वागत हित ...