लेखनी कविता - दिया जलता रहा -गोपालदास नीरज

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दिया जलता रहा -गोपालदास नीरज  जी उठे शायद शलभ इस आस में  रात भर रो रो, दिया जलता रहा।  थक गया जब प्रार्थना का पुण्य, बल, सो गयी जब साधना होकर ...

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