लेखनी कविता - तुम ही नहीं मिले जीवन में -गोपालदास नीरज

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तुम ही नहीं मिले जीवन में -गोपालदास नीरज  पीड़ा मिली जनम के द्वारे अपयश नदी किनारे  इतना कुछ मिल पाया एक बस तुम ही नहीं मिले जीवन में  हुई दोस्ती ऐसी ...

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