लेखनी कविता - जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना -गोपालदास नीरज

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जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना -गोपालदास नीरज  जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना  अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।  नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल, उड़े मर्त्य मिट्टी ...

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