लेखनी कविता - खग ! उडते रहना जीवन भर! -गोपालदास नीरज

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खग ! उडते रहना जीवन भर! -गोपालदास नीरज  खग ! उडते रहना जीवन भर! भूल गया है तू अपना पथ, और नहीं पंखों में भी गति, किंतु लौटना पीछे पथ पर ...

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