लेखनी कविता -आदमी को प्यार दो -गोपालदास नीरज

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आदमी को प्यार दो -गोपालदास नीरज  सूनी-सूनी ज़िंदगी की राह है, भटकी-भटकी हर नज़र-निगाह है, राह को सँवार दो, निगाह को निखार दो, आदमी हो तुम कि उठा आदमी को प्यार ...

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