लेखनी कविता - मुस्कुराकर चल मुसाफिर -गोपालदास नीरज

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मुस्कुराकर चल मुसाफिर -गोपालदास नीरज  पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर! वह मुसाफिर क्या जिसे कुछ शूल ही पथ के थका दें? हौसला वह क्या जिसे कुछ मुश्किलें पीछे ...

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