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कबीर की साखियाँ -कबीर कस्तूरी कुँडली बसै, मृग ढूँढे बन माहिँ। ऐसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखे नाहिँ॥ प्रेम ना बाड़ी उपजे, प्रेम ना हाट बिकाय। राजा परजा जेहि रुचे, ...