लेखनी कविता - समरथाई का अंग -कबीर

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समरथाई का अंग -कबीर  जिसहि न कोई तिसहि तू, जिस तू तिस ब कोइ ।  दरिगह तेरी सांईयां , ना मरूम कोइ होइ ॥1॥ सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब ...

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