लेखनी कविता - नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार -कबीर

57 Part

52 times read

0 Liked

नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार -कबीर  नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार ॥  साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये ।  हम से तुमरे और ...

Chapter

×