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नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार -कबीर नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार ॥ साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये । हम से तुमरे और ...