लेखनी कविता - तेरा मेरा मनुवां -कबीर

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तेरा मेरा मनुवां तेरा मेरा मनुवां कैसे एक होइ रे । मै कहता हौं आँखन देखी, तू कहता कागद की लेखी । मै कहता सुरझावन हारी, तू राख्यो अरुझाई रे ॥ ...

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