लेखनी कविता - दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ -कबीर

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दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ ॥ पहिला जनम भूत का पै हौ, सात जनम पछिताहौउ। काँटा पर का पानी पैहौ, प्यासन ही मरि जैहौ ॥ १॥ दूजा जनम सुवा का ...

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