लेखनी कविता -घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे-कबीर

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घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे। घट-घट मे वह सांई रमता, कटुक वचन मत बोल रे॥ धन जोबन का गरब न कीजै, झूठा पचरंग चोल रे। सुन्न महल मे ...

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