लेखनी कविता -राम-नाम कै पटंतरै, देबे कौं कछु नाहिं -कबीर

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राम-नाम कै पटंतरै, देबे कौं कछु नाहिं । क्या ले गुर संतोषिए, हौंस रही मन माहिं ॥1॥ भावार्थ - सद्गुरु ने मुझे राम का नाम पकड़ा दिया है । मेरे पास ...

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