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भगति भजन हरि नांव है, दूजा दुक्ख अपार । मनसा बाचा क्रमनां, `कबीर' सुमिरण सार ॥1॥ भावार्थ - हरि का नाम-स्मरण ही भक्ति है और वही भजन सच्चा है ; भक्ति ...