लेखनी कविता -अंदेसड़ा न भाजिसी, संदेसौ कहियां

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अंदेसड़ा न भाजिसी, संदेसौ कहियां । कै हरि आयां भाजिसी, कै हरि ही पास गयां ॥1॥ भावार्थ - संदेसा भेजते-भेजते मेरा अंदेशा जाने का नहीं, अन्तर की कसक दूर होने की ...

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