लेखनी कविता -मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर

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मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर । तेरा तुझकौं सौंपता, क्या लागै है मोर ॥1॥ भावार्थ - मेरे साईं, मुझमें मेरा तो कुछ भी नहीं,जो कुछ भी है, ...

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