57 Part
76 times read
0 Liked
कबीर' नौबत आपणी, दिन दस लेहु बजाइ । ए पुर पाटन, ए गली, बहुरि न देखै आइ ॥1॥ भावार्थ - कबीर कहते हैं-- अपनी इस नौबत को दस दिन और बजालो ...