लेखनी कविता - गगन दमामा बाजिया, पड्या निसानैं घाव

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गगन दमामा बाजिया, पड्या निसानैं घाव । खेत बुहार्‌या सूरिमै, मुझ मरणे का चाव ॥1॥ भावार्थ - गगन में युद्ध के नगाड़े बज उठे, और निशान पर चोट पड़ने लगी । ...

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