लेखनी कविता - माया महा ठगनी हम जानी

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माया महा ठगनी हम जानी।। तिरगुन फांस लिए कर डोले बोले मधुरे बानी।।   केसव के कमला वे बैठी शिव के भवन भवानी।। पंडा के मूरत वे बैठीं तीरथ में भई ...

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