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दारोग़ा जी / अल्हड़ बीकानेरी डाकू नहीं, ठग नहीं, चोर या उचक्का नहीं कवि हूँ मैं मुझे बख्श दीजिए दारोग़ा जी काव्य-पाठ हेतु मुझे मंच पे पहुँचना है मेरी मजबूरी पे ...