लेखनी कविता - मन मस्त हुआ - अल्हड़ बीकानेरी

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मन मस्त हुआ / अल्हड़ बीकानेरी आदि से अनूप हूँ मैं, तेरा ही स्वरूप हूँ मैं मेरी भी कथाएँ हैं अनन्त मेरे राम जी लागी वो लगन तुझसे कि मन मस्त ...

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