लेखनी कविता -दो नावों की सवारी - अल्हड़ बीकानेरी

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दो नावों की सवारी / अल्हड़ बीकानेरी कविता के साथ चली चाकरी चालीस साल आखर मिटाए कब मिटे हैं ललाट के रहा मैं दो नावों पे सवार-लीला राम की थी राम ...

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