लेखनी कविता -ख़ुश हो ऐ बख़्त कि है आज तेरे सर सेहरा - ग़ालिब

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ख़ुश हो ऐ बख़्त कि है आज तेरे सर सेहरा / ग़ालिब ख़ुश हो ऐ बख़्त[1]कि है आज तेरे सर सेहरा बाँध शहज़ादा जवाँ बख़्त के सर पर सेहरा क्या ही ...

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