लेखनी कविता - नवेदे-अम्न है बेदादे दोस्त जाँ के लिए - ग़ालिब

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नवेदे-अम्न है बेदादे दोस्त जाँ के लिए / ग़ालिब नवेदे-अम्न[1]है बेदादे दोस्त[2]जाँ के लिए रही न तर्ज़े-सितम[3]कोई आसमाँ के लिए बला से गर मिज़्गाँ-ए-यार[4]तश्ना-ए-ख़ूँ[5]है रखूँ कुछ अपनी भी मि़ज़्गाँने-ख़ूँफ़िशाँ[6]के लिए वो ...

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