लेखनी कविता -तुम न आए तो क्या सहर न हुई - ग़ालिब

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तुम न आए तो क्या सहर न हुई / ग़ालिब तुम न आए तो क्या सहर[1] न हुई हाँ मगर चैन से बसर[2] न हुई मेरा नाला[3]सुना ज़माने ने एक तुम ...

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