लेखनी कविता - फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया- ग़ालिब

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फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया/ ग़ालिब फिर मुझे दीदा-ए-तर याद[1] आया दिल जिगर तश्ना-ए-फ़रियाद आया दम लिया था न क़यामत ने हनोज़[2] फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया सादगी हाये तमन्ना यानी ...

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