लेखनी कविता - बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला - ग़ालिब

76 Part

72 times read

0 Liked

बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला / ग़ालिब बूए-गुल, नाला-ए-दिल, दूदे चिराग़े महफ़िल जो तेरी बज़्म से निकला सो परीशाँ निकला। चन्द तसवीरें-बुताँ चन्द हसीनों के ख़ुतूत, बाद ...

Chapter

×