लेखनी कविता -तेरे वादे पर जिये हम - ग़ालिब

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तेरे वादे पर जिये हम / ग़ालिब तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना, कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता । ...

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