लेखनी कविता -अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना - ग़ालिब

76 Part

41 times read

0 Liked

अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना / ग़ालिब अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना तूती को शश जिहत से मुक़ाबिल है आइना ...

Chapter

×