लेखनी कविता - आमद-ए-सैलाब-ए-तूफ़न-ए सदाए आब है - ग़ालिब

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आमद-ए-सैलाब-ए-तूफ़न-ए सदाए आब है / ग़ालिब आमद-ए सैलाब-ए तूफ़ान-ए सदाए आब है नक़श-ए-पा जो कान में रखता है उंगली जादह से बज़्म-ए-मय वहशत-कदा है किस की चश्म-ए-मस्त का शीशे में नब्ज़-ए-परी ...

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