लेखनी कविता -कहते तो हो तुम सब कि बुत-ए-ग़ालिया-मू आए - ग़ालिब

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कहते तो हो तुम सब कि बुत-ए-ग़ालिया-मू आए / ग़ालिब कहते तो हो तुम सब कि बुत-ए-ग़ालिया-मू आए यक मरतबा घबरा के कहो कोई कि वो आए   हूँ कशमकश-ए-नज़ा में ...

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