लेखनी कविता - क़यामत है कि सुन लैला का दश्त-ए-क़ैस में आना - ग़ालिब

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क़यामत है कि सुन लैला का दश्त-ए-क़ैस में आना / ग़ालिब क़यामत है कि सुन लैला का दश्त-ए-क़ैस में आना तअज्जुब से वह बोला यूँ भी होता है ज़माने में   ...

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