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गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग / ग़ालिब गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग यानी बग़ैर-ए-यक-दिल-ए-बे-मुद्दआ न माँग आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद मुझ से मिरे ...