लेखनी कविता -चशम-ए-ख़ूबां ख़ामुशी में भी नवा-परदाज़ है - ग़ालिब

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चशम-ए-ख़ूबां ख़ामुशी में भी नवा-परदाज़ है / ग़ालिब चश्म-ए-ख़ूबाँ ख़ामुशी में भी नवा-पर्दाज़ है सुर्मा तो कहवे कि दूद-ए-शोला-ए-आवाज़ है   पैकर-ए-उश्शाक़ साज़-ए-ताला-ए-ना-साज़ है नाला गोया गर्दिश-ए-सैय्यारा की आवाज़ है दसत-गाह-ए ...

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