76 Part
34 times read
0 Liked
ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असद / ग़ालिब ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असद वगरना हम तो तवक़्क़ो ज़्यादा रखते हैं तन-ए-ब-बंद-ए-हवस दर नदादा रखते हैं दिल-ए-ज़-कार-ए-जहाँ ऊफ़्तादा रखते हैं तमीज़-ए-ज़िश्ती-ओ-नेकी में ...