लेखनी कविता -नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच - ग़ालिब

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नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच / ग़ालिब नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच अगर शराब नहीं इन्तज़ार-ए-साग़र खींच कमाल-ए-गरमी-ए सई-ए-तलाश-ए-दीद न पूछ ब रंग-ए-ख़ार मिरे आइने से जौहर खींच तुझे ...

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