लेखनी कविता -ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर - ग़ालिब

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ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर / ग़ालिब ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर मता-ए-ख़ाना-ए-ज़ंजीर जुज़ सदा मालूम ब-क़द्र-ए-हौसला-ए-इश्क़ जल्वा-रेज़ी है वगरना ख़ाना-ए-आईना की फ़ज़ा मालूम 'असद' फ़रेफ्ता-ए-इंतिख़ाब-ए-तर्ज़-ए-जफ़ा वगरना दिलबरी-ए-वादा-ए-वफ़ा मालूम ...

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