लेखनी कविता - मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है - ग़ालिब

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मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है / ग़ालिब मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है मौज-ए-शराब यक-मिज़ा-ए-ख़्वाब-नाक है   जुज़ ज़ख्म-ए-तेग़-ए-नाज़ नहीं दिल में आरज़ू जेब-ए-ख़याल भी तिरे हाथों से चाक है जोश-ए-जुनूँ से कुछ नज़र ...

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