लेखनी कविता - हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी - ग़ालिब

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हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी / ग़ालिब हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी दिल जोश-ए-गिर्या में है डूबी हुई असामी उस शम्अ की तरह से जिस को कोई ...

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